आमद आमद है ख़िज़ाँ की जाने वाली है बहार
रोते हैं गुलज़ार के दर बाग़बाँ खोले हुए
तअ’श्शुक़ लखनवी, सय्यद मीरजा़ उर्फ़ सय्यद साहब(1824-1892)मर्सिये के सबसे बड़े शाइ’र मीर ‘अनीस’ के पोते थे जिन्होंने मर्सिये और ग़ज़ल दोनों विधाओं में अपनी एक ख़ास पहचान बनाई। उनकी शाइ’री में ज़बान की सफ़ाई और चुस्ती दूर ही से नज़र आती है।