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ताहिरा इक़बाल की कहानियाँ
ग़ुलामा
यह गाँव के एक ऐसे सीधे सादे व्यक्ति गु़लामा की कहानी है, जिससे गाँव का हर व्यक्ति भला बुरा काम करा लेता है। वह व्यक्ति ज़मींदारों के खेतों में बेगार भी करता है और जब मस्जिद में नमाज़ियों की कमी से मस्जिद का इमाम परेशान होता है तो वह मस्जिद में भी पहुँच जाता है। किसी का हलाला होना है तो वह दुल्हा बन जाता है। एक रोज़़ गाँव वाले गु़लामा की शादी एक गर्भवती से करा देते हैं। न चाहते हुए भी इमाम साहब को यह निकाह पढ़ाना पड़ता है और उसके बाद इमाम साहब को गु़लामा से नफ़रत हो जाती है। गर्भवती के बच्चा पैदा होने के बाद वह औरत भाग जाती है। एक दिन गु़लामा अपने नवजात बीमार शिशु को लेकर इमाम साहब के पास हाज़िर हुआ तो उसकी हालत देखकर इमाम साहब का ग़ुस्सा स्वतः समाप्त हो गया।
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