वसी शाह
ग़ज़ल 53
नज़्म 6
अशआर 16
जो तू नहीं है तो ये मुकम्मल न हो सकेंगी
तिरी यही अहमियत है मेरी कहानियों में
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
तुम्हारा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब से
कोई भी लफ़्ज़ लिखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
हर इक मुफ़लिस के माथे पर अलम की दास्तानें हैं
कोई चेहरा भी पढ़ता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
हर एक मौसम में रौशनी सी बिखेरते हैं
तुम्हारे ग़म के चराग़ मेरी उदासियों में
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
वीडियो 8
This video is playing from YouTube