काहिलों का देश
किसी ज़माने में एक ऐसा मुल्क़ था जहाँ के बाशिंदे बहुत काहिल थे। दिन-भर सोना पाने की उम्मीद में ज़मीन खोदते ताकि मालामाल हो जाएँ। बरसों तक वो इसी तरह ज़मीन खोदते रहे लेकिन उन्हें मिट्टी के इलावा कुछ न मिल सका। यही वजह थी कि वहाँ के बाशिंदे बहुत परेशान रहते, क्यों कि वहाँ का बादशाह दौलत चाहता था और दौलत न मिल पाने के सबब उसका मिज़ाज चिड़चिड़ा और ग़ुस्सैला हो गया था।
एक दिन उधर से एक नौजवान का गुज़र हुआ जो बहुत ख़ुश-दिल और हन्सोड़ था। वो मस्ती से गाना गाता हुआ उसी रास्ते से जा रहा था जहाँ सोना हासिल करने के लिए लोग ज़मीन खोद रहे थे। जब उन लोगों ने उसे देखा तो बोले, “गाना मत गाओ, हमारा बादशाह बहुत ही ग़ुस्सैला है। वो तुम्हें जान से मरवा देगा।”
नौजवान हंस कर बोला, “मुझे इसकी पर्वा नहीं है। लेकिन तुम मुझे अपने बादशाह के पास ले चलो।”
लोगों ने ज़मीन की खुदाई बंद कर दी और उस आदमी को ले कर बादशाह के पास गए। रास्ते में उन्होंने पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?”
“मज़दूर...” उस आदमी ने जवाब दिया।
“तुम गाना क्यों गा रहे थे?”
“क्यों कि मैं बहुत ख़ुश हूँ।”
“तुम ख़ुश क्यों हो?”
“क्यों कि मेरे पास बहुत सोना है।”
इतना सुनते ही सब लोग ख़ुशी से उछल पड़े। उन्होंने बादशाह को सारी बात बता दी। बादशाह ने उस आदमी से पूछा, “क्या ये हक़ीक़त है कि तुम्हारे पास काफ़ी सोना है?”
“हाँ,” नौजवान ने जवाब दिया, “मेरे पास सोने की सात बोरियाँ हैं।”
बादशाह ने अपने आदमियों को हुक्म दिया कि इस आदमी के साथ जा कर वो सोने की सातों बोरियाँ ले आएँ।
बादशाह का हुक्म सुन कर नौजवान ने कहा, “उसको लाने में काफ़ी वक़्त लगेगा क्योंकि वो एक ऐसी ग़ार में रखा हुआ है जिसकी देख-भाल सात देव कर रहे हैं। आप अपने इन आदमियों को मेरे साथ एक साल तक रहने की इजाज़त दें, इस अरसे में हम वो सोना हासिल करने में कामयाब हो जाएँगे।”
नौजवान की बात मानने के इलावा बादशाह के पास और कोई चारा न था। इसलिए उसने अपने बहुत से आदमी, घोड़े और बैल उस नौजवान के साथ भेज दिए और जाते वक़्त उसको हिदायत की, “अगर तुम साल के आख़िर तक सोना लाने में नाकाम रहे तो तुम्हारा सर धड़ से अलग कर दिया जाएगा।”
उस नौजवान ने उन लोगों को सल्तनत की ज़रख़ेज़ ज़मीन जोतने के लिए कहा। खेतों की अच्छी तरह जुताई करा कर उस आदमी ने खेतों में गेहूँ बोया। फ़स्ल तैयार होने पर उसने कटाई कराई। इस तरह उसके पास मनों गेहूँ जमा हो गया। जिसे घोड़ों पर लदवा कर वो बादशाह के आदमियों के साथ ले कर चल पड़ा।
चलते-चलते वो लोग ऐसे मुक़ाम पर पहुँचे जहाँ क़ह्त पड़ा हुआ था। देखते ही देखते वहाँ के बाशिंदों ने वो सारा गेहूँ हाथों-हाथ ख़रीद लिया। उसके बदले में उस नौजवान को सोने की सात बोरियाँ मिल गईं। जिन्हें ले कर वो बादशाह के दरबार में पहुँच गया।
“क्या तुम सोना ले आए?” बाशाह ने पूछा।
नौजवान ने मुस्कुरा कर जवाब दिया, “जी हाँ! मैंने गेहूँ बेच कर सोना हासिल किया है।”
अपने लोगों से बादशाह ने जब पूरी कहानी सुनी तो बहुत ख़ुश हुआ। उसे अपनी ग़लती का एहसास हुआ। उसने अपने सब लोगों को खेती करने का हुक्म दिया। बादशाह को मेहनत की एहमियत मा'लूम हो गई। उसने नौजवान से कहा, “हम तुम्हारे बहुत शुक्रगुज़ार हैं। तुमने हमें एक नई राह दिखाई। हम चाहते हैं कि तुम हमारे ही साथ रहो।”
नौजवान ने बादशाह की बात सुनी और कहा, “इस दुनिया में अभी बहुत से लोग ऐसे हैं जो मेहनत की क़द्र नहीं करते। अब मुझे आप जैसे बहुत से भूले-भटकों को ठीक रास्ते पर लाना है। मुझे अफ़सोस है मैं यहाँ नहीं रुक सकता।”
इतना कह कर वो नौजवान वहाँ से ख़ुशी-ख़ुशी चल पड़ा।
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