राज हंस की कहानी
राजा का एक बाग़ था। उसके बीच में एक तालाब था। वो तालाब बड़ा भी था और गहरा भी था। उसका पानी ऐसा सफ़ेद था जैसा दूध। उसके किनारे सब्ज़ा था और उस सब्ज़े में रंग-रंग के फूल थे।
राजा अपनी रानी के साथ हर रोज़ शाम को सैर करने आता था। रानी को भी ये बाग़ अच्छा लगता था।
एक दिन रानी ने राजा से कहा, “राजा जी ये बाग़ अच्छा है। ये तालाब बड़ा है। क्या ही अच्छा हो, आप एक ख़ूबसूरत हंस और एक ख़ूबसूरत हंसिनी पालें। हंस तालाब में तैरेगा और हंसिनी भी तालाब में तैरेगी।”
राजा जी ने कहा, “बहुत अच्छा, ऐसा ही करेंगे।”
कुछ दिनों के बा'द राजा को एक बड़ा हंस मिला, एक बड़ी हंसिनी मिली। राजा ने उनको बड़े शौक़ से पाला। हंस भी ख़ूबसूरत था और हंसिनी भी ख़ूबसूरत थी। उनके पर ऐसे सफ़ैद थे जैसे बर्फ़। उनकी देख-भाल एक लड़का करता था। उस लड़के का नाम जग्गू था। जग्गू बड़ी होशयारी से उनकी रखवाली करता था।
एक दिन हंसिनी ने एक बड़ा गोल-गोल सफ़ेद अण्डा दिया। वो अण्डा ख़ूबसूरत था। जग्गू ने अण्डा राजा को दिखाया। रानी को दिखाया। दोनों ख़ुश हुए। राजा ने जग्गू को इन'आम दिया। जग्गू भी ख़ुश हुआ।
जग्गू एक टोकरा लाया। नर्म-नर्म घास लाया। घास को टोकरे में रखा। फिर टोकरे को एक कोने में हिफ़ाज़त से रखा। हंसिनी ने कुल सात बड़े-बड़े अंडे दिए। जग्गू उनको होशयारी से उठाता और टोकरे में रखे जाता। उनको सजा-सजा कर रखता। पहला अण्डा बीच में रखा। बाक़ी छः अंडे उसके चारों तरफ़ इस तरह रखे जिस तरह नन्हे-मुन्ने बच्चे घेरे का खेल खेलते हैं।
एक दिन हंसिनी अपने अंडे तलाश करने लगी। तलाश करते-करते थक गई मगर उसे न मिले। वो सारा दिन उदास-उदास सी रही। न कुछ खाया न पिया। न अण्डा ही दिया। तालाब के किनारे, परों में मुँह छुपा कर बैठ गई और हंस भी चुप-चाप उसके क़रीब ही क़रीब टहलने लगा। जग्गू समझ गया। वो हंसिनी को अंडों के पास ले गया। हंसिनी उनको देख कर ख़ुश हुई और “हंस, हंस” बोलने लगी।
हंसिनी उसी दिन से अंडों को सेने लगी। एक महीने तक उन अंडों को सेती रही और हंस टोकरे के चारों तरफ़ फिरता रहा। एक दिन जग्गू सुब्ह-सवेरे उठा। देखा कि मुन्ने-मुन्ने हंस हंस-हंसिनी के पीछे-पीछे चल फिर रहे थे। अब उस तालाब में हँसों का बड़ा सा ख़ानदान हो गया।
बहुत से हंस देख-देख कर ख़ुश होता और जग्गू को इन'आम देता। जब तक राजा जीता रहा यही होता रहा। इस वक़्त भी अगर तुम उस तालाब के किनारे जा कर देखो तो तुमको उस हंस और हंसिनी के बेटे और बेटियों के बच्चे तैरते मिलेंगे। उस तालाब पर उनका राज है और उनका रखवाली करने वाला जग्गू का बेटा भग्गू है।
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.