अज़ीज़ क़ैसी
ग़ज़ल 22
नज़्म 26
अशआर 14
तुझे सीने से लगा लूँ तुझे दिल में रख लूँ
दर्द की छाँव में ज़ख़्मों की अमाँ में आ जा
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क्या हाथ उठाइए दुआ को
हम हाथ उठा चुके दुआ से
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नज़र उठाओ तो झूम जाएँ नज़र झुकाओ तो डगमगाएँ
तुम्हारी नज़रों से सीखते हैं तरीक़ मौत-ओ-हयात के हम
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आह-ए-बे-असर निकली नाला ना-रसा निकला
इक ख़ुदा पे तकिया था वो भी आप का निकला
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अजीब शहर है घर भी हैं रास्तों की तरह
किसे नसीब है रातों को छुप के रोना भी
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