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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Salam Machhli shahri's Photo'

सलाम मछली शहरी

1921 - 1973

रूमानी लहजे के प्रसिद्ध लोकप्रिय शायर

रूमानी लहजे के प्रसिद्ध लोकप्रिय शायर

सलाम मछली शहरी

ग़ज़ल 18

नज़्म 30

अशआर 19

अब मा-हसल हयात का बस ये है 'सलाम'

सिगरेट जलाई शे'र कहे शादमाँ हुए

काश तुम समझ सकतीं ज़िंदगी में शाएर की ऐसे दिन भी आते हैं

जब उसी के पर्वर्दा चाँद उस पे हँसते हैं फूल मुस्कुराते हैं

बुझ गई कुछ इस तरह शम्-ए-'सलाम'

जैसे इक बीमार अच्छा हो गया

मेरी फ़िक्र की ख़ुशबू क़ैद हो नहीं सकती

यूँ तो मेरे होंटों पर मस्लहत का ताला है

मेरी मौत साक़ी इर्तिक़ा है हस्ती का

इक 'सलाम' जाता है एक आने वाला है

पुस्तकें 11

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