साक़ी फ़ारुक़ी
ग़ज़ल 60
नज़्म 42
अशआर 57
आग हो दिल में तो आँखों में धनक पैदा हो
रूह में रौशनी लहजे में चमक पैदा हो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
उस के वारिस नज़र नहीं आए
शायद उस लाश के पते हैं बहुत
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
तेरे चेहरे पे उजाले की सख़ावत ऐसी
और मिरी रूह में नादार अंधेरा ऐसा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मुद्दत हुई इक शख़्स ने दिल तोड़ दिया था
इस वास्ते अपनों से मोहब्बत नहीं करते
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मेरी आँखों में अनोखे जुर्म की तज्वीज़ थी
सिर्फ़ देखा था उसे उस का बदन मैला हुआ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
पुस्तकें 17
चित्र शायरी 5
वीडियो 8
This video is playing from YouTube