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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Shahbaz Rizvi's Photo'

शहबाज़ रिज़्वी

1995 | दिल्ली, भारत

नई पीढ़ी के शायरों में शामिल

नई पीढ़ी के शायरों में शामिल

शहबाज़ रिज़्वी के शेर

मिरी ज़मीन पे फैला है आसमान-ए-अदम

अज़ल से मेरे ज़माने पे इक ज़माना है

इक रोज़ इक नदी के किनारे मिलेंगे हम

इक दूसरे से अपना पता पूछते हुए

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