स्वाति, नागपूर में 5 मार्च, 1968 को पैदा हुईं और 13 बरस की उम्र से ही शायरी करने लगीं थीं। उन के वालिद ने कम उम्र ही में उन का तआरुफ़ अदब और लिखने पढ़ने से करवा दिया था और फिर जब 1983 में उन के वालिद ने डॉ. ज़रीना सानी की किताब आईना-ए–ग़ज़ल दी तो ये उन के लिए उर्दू शायरी से इश्क़ का बाइस बनी। और इसे किस्मत का खेल समझें कि इस बात के तक्रीबन 11 साल बाद ही स्वाति की शादी डॉ ज़रीना सानी के छोटे बेटे, तारिक़ के साथ हो गई ।
साइंस में ग्रेजुएशन करने के बाद 1989 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन, नई दिल्ली, से पोस्ट ग्रेजुएशन किया और फिर उर्दू से बेइंतेहा मुहब्बत होने की वजह से साल 2018 में, 50 साल की उम्र में नागपुर यूनिवर्सिटी से उर्दू अदब में MA भी किया।
दस साल पहले जब स्वाति ने ये फ़ैसला किया की अब वो संजीदगी से उर्दू शायरी करेंगी तो मशहूर शायर, सहाफ़ी और शायर (रिसाला) के एडिटर, जनाब हामिद इक़बाल सिद्दीक़ी से मशवरा-ए-सुखन का आगाज किया। स्वाति की ग़ज़लें राष्ट्रीय सहारा और लोकमत पत्रिका में अक्सर शाए’ होती हैं।
स्वाति ने अपनी कामकाज़ी ज़िंदगी की शुरुवात एक ऐड्वर्टाइज़िंग प्रोफेशनल के तौर पर की थी लेकिन 10 साल बाद ही खुद की सॉफ्टवेयर कंपनी शुरू कर दी जिसे 22 साल चलाया। मगर उर्दू की मोहब्बत में 2019 में ये फ़ैसला किया की अब वो उर्दू से अंग्रेजी में तर्जुमा करेंगी और शाहकार उर्दू शायरों से उन लोगों को रूनुमास करेंगी जो उर्दू से मोहब्बत तो करते हैं लेकिन ज़बान और उस की बारीकियों को समझ नहीं पाते। उन्होंने इस मक़सद के तहत कई किताबें लिखीं। पिछले एक साल में उन की तीन किताबें शाए हुई हैं जिनके नाम हैं
The Eloquence of Ghalib (मिर्ज़ा ग़ालिब के 100 चुनिंदा शेरों का अंग्रेजी तर्जुमा)
The Fervor of Mir (मीर तक़ी मीर के 100 चुनिंदा शेरों का अंग्रेजी तर्जुमा) और
Verses in Bloom (उर्दू के 150 से ज्यादा यादगार शेरों का अंग्रेजी तर्जुमा)
इस के अलावा उन का प्रोजेक्ट अ शेर अ डे भी काफी कामयाब और मक़बूल है जिस के तहत रोज़ाना एक शेर और उस का अंग्रेजी तर्जुमा शाए किया जाता है।