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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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शिकोह-ए-आब में गुम थे जिहत-निशाँ मेरे

सत्तार सय्यद

शिकोह-ए-आब में गुम थे जिहत-निशाँ मेरे

सत्तार सय्यद

MORE BYसत्तार सय्यद

    शिकोह-ए-आब में गुम थे जिहत-निशाँ मेरे

    हवा ने रख दिए तह कर के बादबाँ मेरे

    सहर को साथ उड़ा ले गई सबा जैसे

    ये किस ने कर दिए रस्ते धुआँ धुआँ मेरे

    तिरे इशारा-ए-अबरू पे रुत बदलती है

    बहार है तसल्लुत में है ख़िज़ाँ मेरे

    उतरने वाले सफ़ीनों में छेद करते गए

    डुबो गए मुझे साहिल पे मेहरबाँ मेरे

    खिला शगूफ़ा-ए-ग़म शाख़-ए-उम्र पर 'सय्यद'

    महक रहे हैं सर-ए-हर्फ़ जिस्म-ओ-जाँ मेरे

    स्रोत :
    • पुस्तक : Funoon (Monthly) (पृष्ठ 384)
    • रचनाकार : Ahmad Nadeem Qasmi
    • प्रकाशन : 4 Maklood Road, Lahore (Edition Nov. Dec. 1985Issue No. 23)
    • संस्करण : Edition Nov. Dec. 1985Issue No. 23

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