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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : जमाल एहसानी

प्रकाशक : दोस्त पब्लिकेशन, इस्लामाबाद

प्रकाशन वर्ष : 2008

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : कुल्लियात

पृष्ठ : 404

ISBN संख्यांक / ISSN संख्यांक : 978-969-496-304-4

सहयोगी : सालिम सलीम

kulliyat-e-jamal
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पुस्तक: परिचय

جمال احسانی اسی (80)کی دہائی کے ایک ایسے شاعر ہیں جنہوں نے اپنے تجربات کو اپنی شاعری کا جامہ پہنایا ۔ ان کی زندگی میں جو پریشانیاں لاحق ہوئیں وہ مصرعوں کے شکل میں رقم ہوئیں ۔انہوں نے اپنے شعری سفر کا آغاز ’’ ستارہ سفر ‘‘ سے کیا تھا اور پہلے ہی مجموعے سے قارئین کو متوجہ کر لیا تھا۔ مجموعہ ’’رات کے جاگے ہوئے‘‘ ان کی اگلی منزل تھی جہاں سے شاعرو ادیب نے انہیں خوش آمدید کہا اور شاعری میں ایک نئی آواز کی نوید سنائی۔ اس مجموعے سے ان کے توقعات پر اتر نے کے لیے’’ تارے کو مہتاب جیسا ‘‘ مجموعہ منظر عام پر لائے اور ان کی نئی آواز کراچی و اطراف میں سنائی دینے لگی ۔ جیسا کہ ان کی زندگی تنگدستی میں گزری ہے تو انہوں نے اپنی شاعری میں اسکو اس طرح بیان کیاہے کہ ان کی زندگی کی کہانی اس میں ضم ہوکر رہ گئی ۔تاہم اپنی شاعری سے جو دھنک رنگ بکھیر ی اس کی پہلی کرن ہی ان کے شعری سفر کی پہچان بن گئی ۔ یہ ان کے تمام شعری مجموعوں کی کلیات ہے جس کے مطالعہ میں ایک الگ دنیانظرآتی ہے ۔

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लेखक: परिचय

जमाल एहसानी की गिनती नई ग़ज़ल के अहम शाइरों में होती है. उनकी पैदाइश 12 अप्रैल 1951 को सरगोधा में हुई. पैत्रिक स्थान पानीपत था.बी.ए. किया और जीवकोपार्जन में लग गये. एक अर्से तक सूचना एवं प्रसारण विभाग सिंध से सम्बद्ध रहे,इसके अलावा कई पत्रिकाओं का सम्पादन किया. उन्होंने ‘राज़दार के नाम से अपना एक परचा भी निकाला. 10 फ़रवरी 1998 में उनका देहांत हुआ. उनके काव्य संग्रह ‘सितारा-ए-सफ़र, ‘रात के जागे हुए, ‘तारे को महताब किया के नाम से प्रकाशित हुए.
जमाल एहसानी की शाइरी परम्परा के विरुद्ध और परम्परा से दूर भागती हुई आधुनिकतावादी शाइरी के बीच एक चीज़ है जो चौंकाती है और अपने कुछ लम्हों में हैरान करती है.

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