aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
مولانا ابوالکلام آزاد کی جلیل القدر شخصیت میں قدرت نے حیرت انگیز کمالات ودیعت کردئے تھے ،وہ ایک جادو بیان مقرر اور شعلہ بیان خطیب تھے۔ابوالکلام آزاد ہند کے پہلے وزیرِ تعلیم اور قومی رہنما تھے۔ زیر نظر کتاب مولانا ابوالکلام آزاد کی وفات کے موقعہ پر جگن ناتھ آزاد کی جانب سے لکھےگئے اشعار کا مجموعہ ہے، ان اشعار میں جگن ناتھ آزاد نے ابوالکلام آزاد کے خصائل ،خدمات ،ان کے علم دوستی اور ادب سے وابستگی غرضیکہ ہر چیز کا اظہار کرتے ہوئے مولانا آزادکا دنیا سے رخصت ہوجانے کا اظہار افسوس نہایت غم ناک انداز میں کرتے ہوئے ۔اپنے اشعار کے اختتام پر علامہ اقبال کا مشہور شعر نقل کیا ہے۔ آسماں تیری لحد پر شبنم افشانی کرے سبزہ نورستہ اس گھر کی نگہبانی کرے
इक़बाल के विचार और उनकी शायरी जिन आलोचकों के अध्ययन का मुख्य बिंदु रहा है उनमें एक नाम जगन्नाथ आज़ाद का भी है. जगन्नाथ आज़ाद ने शायरी तो की है ,उसके साथ साथ अदब के आलोचनात्मक और विवेचनात्मक मामलात व समस्याएं उनके ध्यान का केंद्र रहे. उन्होंने इक़बाल को समझने और समझाने के संदर्भ में कई किताबें लिखीं.
आज़ाद की पैदाइश 15 दिसम्बर 1918 को पंजाब स्थित ज़िला मियांवाली के ईसा ख़लील नामक गाँव में हुई. उन्होंने 1944 में पंजाब यूनिवर्सिटी लाहौर से एम.ए. और 1945 में एम.ओ. एल. की सनद हासिल की. उसके बाद वह उर्दू और अंग्रेज़ी के बाद वह उर्दू और अंग्रेज़ी के कई अख़बारों व रिसालों से सम्बद्ध रहे. 1948 से 1955 तक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के मासिक आजकल के सहायक सम्पादक भी रहे जहाँ उन दिनों जोश मलीहाबादी सम्पादक थे. 1955 में प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो में इनफार्मेशन ऑफिसर नियुक्त हुए .इसके अतिरिक्त विभिन्न मंत्रालयों में इनफार्मेशन सर्विस में सेवारत रहे. 1977 में डायरेक्टर पब्लिक रिलेशन ,प्रेस इनफार्मेशन (श्रीनगर) के पद से सेवानिवृत के बाद जम्मू यूनिवर्सिटी के उर्दू विभाग में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष नियुक्त हुए. आनन्द नारायन मुल्ला के देहांत के बाद अंजुमन तरक्क़ी उर्दू के सद्र भी रहे . 2 जुलाई 2005 को नई दिल्ली में देहांत हुआ.
काव्य संग्रह: तिब्ल व इल्म (1948),बेकराँ (1949),सितारों से ज़र्रों तक (1951), वतन में अजनबी (1954) ,इन्तेखाबे कलाम (1957) , नवाए परेशां (1961), कहकशां (1961), बच्चों की नज़्में (1976), बच्चों के इक़बाल (1977), बुए रमीदा (1987), गहवाराए इल्म व हुनर (1988). आलोचना/ यात्रावृतांत व डायरी, तिलोकचन्द महरूम,इक़बाल और उसका अह्द, मेरे गुज़िश्ता शबो रोज़, इक़बाल और मग़रबी मुफ़क्किरिन, इक़बाल और कश्मीर, आँखें तरस्तियाँ हैं, फ़िक्रे इक़बाल के बाज़ अहम पहलू,निशाने मंज़िल, पुश्किन के देश में, कोलम्बस के देश में, हयाते महरूम, हिन्दुस्तान में इक़बालियात, जुनुबी हिन्द में नौ हफ़्ते, इक़बाल ज़िंदगी: शख्सियत और शायरी , मुरक्क़ा इक़बाल,
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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