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लेखक : अनीस अशफ़ाक़

संस्करण संख्या : 001

प्रकाशक : अनीस अशफ़ाक़

मूल : दिल्ली, भारत

प्रकाशन वर्ष : 2009

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शोध एवं समीक्षा

उप श्रेणियां : आलोचना

पृष्ठ : 298

ISBN संख्यांक / ISSN संख्यांक : 978-81-8223-569-4

सहयोगी : ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती यूनिवर्सिटी, लखनऊ

bahs-o-tanqeed
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पुस्तक: परिचय

پیش نظر کتاب "بحث و تنقید" انیس اشفاق کے مضامین کا دوسرا مجموعہ ہے۔اس مجموعے میں 24 مضامین شامل ہیں جنہیں موضوعات کی نوعیت کے اعتبار سے تین حصوں میں تقسیم کیا گیا ہے۔پہلے حصہ یعنی شاعری کے ذیل میں مختلف زبانوں اور مختلف صںفوں سے متعلق شاعروں کی تخلیقات کے بعض مخصوص اور منفرد پہلوؤں کا جائزہ لیا گیا ہے۔ان شاعروں میں میر،غالب،مومن، انیس،عرفان صدیقی اور فراست رضوی شامل ہیں۔تنقید کے عنوان کے تحت جو مضامین رکھے گئے ہیں وہ تنقیدوں کی تنقید سے متعلق ہیں۔فکشن کے باب میں عزیز احمد اور قرت العین حیدر کے ساتھ رشید احمد صدیقی کا نام بھی شامل کیا گیا ہے۔آخری حصہ کے دو مضامین میں سے ایک میں نئے اردو ناول نے تنقیدی تناظر میں جائزہ لیا گیا ہے دوسرے میں ناول کے تعلق سے فکشن کی تکنیکی مسائل کو سمجھانے کی کوشش کی گئی ہے۔

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लेखक: परिचय

चौबीस से ज़ियादा किताबों के मुसन्निफ़ अनीस अशफ़ाक़ शायर भी हैं, नक़्क़ाद और अफ़्साना-निगार भी। उनके कई नॉवेल जैसे 'हैच' (2024) 'दुखियारे' (2014), 'ख़्वाब-सराब' (2017) और 'परी-नाज़ और परिंदे' (2018) शाय हो चुके हैं जिन्हें पसंदीदगी की निगाह से देखा गया है। 2022 में उन्हें अपने नावल ख़्वाब-सराब के लिए साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया।

अनीस अशफ़ाक़ का बुनियादी मैदान तन्क़ीद है। नए और पुराने अदब की ताबीर-ओ-तहलील से मुतअल्लिक़ अब तक उनके पाँच तन्क़ीदी मज्मूए: 'उर्दू ग़ज़ल में अलामत निगारी' (1995), 'अदब की बातें' (1996), 'बह्स-ओ-तन्क़ीद' (2009), 'ग़ज़ल का नया अलामती निज़ाम' (2011) और 'ग़ालिब: दुनिया-ए-मआनी का मुतालेआ' (2022) शाए  हो चुके हैं और तीन तन्क़ीदी किताबें 'दरिया के रंग: उर्दू मरसिए के मानवी जिहात, 'अदब की बातें' (दूसरा इज़ाफ़ा शूदा ऐडीशन) और 'सीधी बातें सादा मुतालिब' इशाअत के लिए तैयार हैं। अनीस अशफ़ाक़ के तन्क़ीदी मज़ामीन यूँ तो हुसूल-ए-तालीम के ज़माने ही से अदबी जरीदों में छपने लगे थे लेकिन किताब 'उर्दू ग़ज़ल में अलामत-निगारी' के शाए होने के बाद अदबी दुनिया में एक नाक़िद की हैसियत से उनकी पहचान मुस्तहकम हुई।

अनीस अशफ़ाक़ ने तर्जुमे भी किए हैं , ख़ाके और मोनोग्राफ़ भी लिखे हैं, रपोर्ताझ़, सफ़र-नामा और सवानिह भी। फ़िल-वक़्त वो अपने बचपन में देखे हुए लखनऊ के अहवाल-ओ-आसार पर एक किताब लिखने में मसरूफ़ हैं।

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