aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
اردو شاعری میں غزل وہ مقبول عام صنف ہے جس میں ارتقا پذیری اور حالات سے مطابقت پیدا كرنے كی حیرت انگیز صلاحیت موجود ہےاور یہ ہر دور میں انسانی زندگی كے مسائل كی ترجمان رہی ہے۔ "بط مے"عبدالحمید عدم كے غزلیہ كلام پر مشتمل مجموعہ ہے ۔چھوٹی بحر اور سہل ممتنع میں خوبصورت،منفرد اور دلكش غزل كہنے والا یہ شاعر بہت سے زبان زد عام اشعار كے ذریعہ اہل ذوق كے دلوں میں اپنی اہم جگہ بنا چكا ہے۔چھوٹی بحر میں سادہ اوركم سے كم الفا ظ عدم كی غزل كی خاص خوبی ہے۔ان كی غزلوں میں ایك مخصوص انداز جھلكتا ہے،جس میں ہلكا ہلكا سوز بھی ہے اور عشق و محبت كی دھیمی دھیمی آنچ بھی۔انھوں نے روایتی موضوعات اور استعاروں كو نئے انداز میں استعمال كیا ہے۔جیسے خم و گیسو،گل وبلبل،شمع وپروانہ ،شیشہ و سنگ كے استعمال سے روایتی غزل كو مزید آبدار كیا ہے۔ان كے كلام میں بادہ نوشی اور مے كدے كا تذكرہ زیادہ ہے۔لیكن دیگر موضوعات بھی موجود ہیں۔ان كے كلام میں سادگی اور سلاست كے ساتھ صاف گوئی اور بے باكی بھی نظرآتی ہے۔عدم كبھی كبھی طنز سے بھی كام لیتے ہیں كہیں كہیں ان كے كلام میں سیاست او رسماج پر طنز بھی دكھائی دیتا ہے۔
अदम की गिनती उर्दू के लोकप्रिय रूमानी शायरों में होती है. उनकी शायरी में इश्क़ व मुहब्बत, हुस्न व जमाल और हिज्र व विसाल का उल्लेख अपने चरम पर हैं. अपनी शायरी की इसी विशेषता के कारण अदम अपने वक़्त के मक़बूलतरीन शायरों में शुमार होते थे. अदम ने शायरी का आग़ाज़ उस ज़माने में किया था जब अख्तर शीरानी, जोश और हफ़ीज़ जालंधरी की शायरी शिखर पर थी और रूमानी शायरी ने उन शुअ’रा को बेहद लोकप्रिय बना रखा था. अदम ने भी शायरी के लिए उसी ढंग को अपनाया. उस विशेष रूमानी फ़िज़ा के बावजूद भी अदम के यहाँ जगह-जगह समकालीन संवेदना के छींटे नज़र आते हैं.
अदम की पैदाइश 10 अप्रैल 1910 को गुजरांवाला के एक गाँव तलवंडी मूसा में हुई. इस्लामिया हाईस्कूल भाटी गेट लाहौर से मैट्रिक किया फिर प्राइवेट रूप से एफ़.ए. किया और मल्टी एकाउंट्स में मुलाज़िम हो गये. 1930 में इराक़ चले गये और वहीँ शादी की. 1961 में हिन्दुस्तान आ गये और एस.ए.एस. का इम्तेहान पास किया फिर मिलिट्री एकाउंट्स में मुलाज़िमत पर बहाल हो गये. पाकिस्तान स्थापना के बाद रावलपिंडी आगये और मिलिट्री एकाउंट्स में असिस्टेंट कंट्रोलर नियुक्त हुए. 10 मार्च 1981 को देहांत हुआ.
अदम बहुत ज़्यादा कहनेवालोँ में से थे उनके काव्य संग्रहों की संख्या से इसका भलीभांति अंदाज़ा होता है. उनके संग्रह ‘खराबात,’ ‘चारा-ए-दर्द,’ ‘ज़ुल्फ़-ए-परेशां,’ ‘सरो सुमन,’ गर्दिश-ए-जाम,’ ‘शहरे खूबां,’ ‘गुलनार,’ ‘अक्से जाम,’ ‘रमे आहू,’ ‘बत मय,’ ‘निगारखाना,’ ‘साज़-ए-सफ़,’ ‘रँग व आहंग’ के नाम से प्रकाशित हुए.
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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