aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
जौहर, लाला माधव राम(1810-1890)फ़र्रुख़ाबाद (उ॰प्र॰) के एक दौलतमंद घराने से संबंध था जहाँ उनकी कोठी पर शाइ’रों का जमघट रहा करता था। बा’द में आख़िरी मुग़ल बादशाह, बहादुर शाह ‘ज़फ़र’ के दरबार में एक सम्मानित पद पर रहे। आज़ादी की पहली जंग लड़ने वालों का साथ देने के लिए उनकी जायदाद ज़ब्त कर ली गई। जौहर के बहुत से शे’र ज़र्ब-उल-मसल (उदाहरणार्थ इस्तेमाल किए जाने वाले) बन गए हैं।
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