aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
زیر نظر کتاب، شاعر مشرق علامہ اقبال کے منتخب فارسی کلام کا منظوم اردو ترجمہ ہے۔ یہ منظوم ترجمہ انجم رومانی نے کیا ہے۔ چونکہ انجم رومانی بذات خود اردو کے منفرد شاعر شمار کیے جاتے ہیں۔ ان کی شاعری فنی پختگی کے ساتھ ساتھ روانی، سلاست اور ندرت لیے ہوتی ہے۔ اسی شاعرانہ صلاحیت کا استعمال کرتے ہوئے انھوں نے علامہ اقبال کے فارسی کلام کا منظوم ترجمہ کیا جو کہ شاہکار کی حیثت رکھتا ہے۔ اردو کا یہ منظوم ترجمہ پیام مشرق اور زبور عجم کے منتخب حصے پر مشتمل ہے۔
अंजुम रूमानी का असल नाम फ़ज़ल दीन था. 28 सितम्बर 1920 को सुलतानपुर लोधी रियासत कपूरथला (पूर्वी पंजाब) में पैदा हुए. गणित में एम.ए. किया और शिक्षा-दीक्षा से सम्बद्ध हो गये. इस्लामिया कालेज जालंधर, इमर्सन कालेज लाहौर, गवर्नमेंट कालेज साहिवाल और दयालसिंह कालेज लाहौर में अपनी सेवाएँ दीं. वह हल्क़ाए अरबाबे ज़ौक़ लाहौर के सेक्रेटरी भी रहे और पंजाब रेयाज़ी सोसाइटी के सद्र भी. 2001 में लाहौर में देहांत हुआ.
अंजुम रूमानी की ग़ज़लों का संग्रह ‘कुए मलामत’ और ना’तों का संग्रह ‘सना और तरह की’ के नाम से प्रकाशित हुआ.
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