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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : मुबारक अज़ीमाबादी

प्रकाशक : निज़ामी प्रेस, बदायूं

प्रकाशन वर्ष : 1950

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 198

सहयोगी : ग़ालिब अकेडमी, देहली

jalwa-e-daagh
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लेखक: परिचय

मुबारक अ’ज़ीमाबादी, मुबारक हुसैन (1849-1958)‘दाग़’ देहलवी के शागिर्द थे मगर उनकी शाइ’र में मौजूद व्यंग की एक अन्दरूनी लहर उसे एक अलग पहचान देती है। फ़ारसी में भी शे’र कहते थे। आख़िरी बरसों में माली दुश्वारियों में घिर गए और इसी हालत में वफ़ात हुई।

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