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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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लेखक: परिचय

अब्बास अली बेख़ुद ग़ज़ल के बहुत ही लोकप्रिय शायर रहे हैं। उनके गज़लों के क्लासीकी रचाव ने शायरी पढ़ने और सुनने वालों को उनकी ओर आकर्शित किया । उनका असल नाम अब्बास अली ख़ाँ था। 2 जुलाई 1906 को पैदा हुए और 6 अगस्त 1969 को देहांत  हुआ। कलकत्ता यूनिवर्सिटी से उर्दू और फ़ारसी में एम. ए. किया। 1933 में मदरसा आलिया कलकत्ते के एंग्लो पर्शियन विभाग में शिक्षक हुए। 1935 में इस्लामिया कालेज (मौजूदा मौलाना आज़ाद कालेज) में उर्दू के लेक्चरर के पद पर नियुक्त हुए। इस कालेज से उर्दू अरबी फ़ारसी के विभागाध्यक्ष पद के सेवानिवृत हुए।

बेख़ुद ने ग़ज़ल के अलावा दूसरी विधाओं में भी रचनाएं कीं। उनकी ग़ज़लों की तरह उनकी नज़्में भी क्लासीकी रंग व आहंग लिये हुए हैं। विभिन्न भाषाओं के साहित्य पर बेख़ुद की नज़र थी, इसलिए उनकी शायरी में उर्दू शायरी की साधारण परंपरा के विरुध विषयों का कैनवास बहुत विस्तृत नज़र आता है। उनकी शायरी का संचयन ‘जाम-ए-बेख़ुद’ के नाम से प्रकाशित हुआ।

 

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