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jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : बहज़ाद लखनवी

प्रकाशक : साक़ी बुक डिपो, दिल्ली

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 193

सहयोगी : अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (हिन्द), देहली

नग़मा-ए-नूर
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पुस्तक: परिचय

زیر تبصرہ کتاب "نغمہ نور" بہزاد لکھنوی کا شعری مجموعہ ہے۔ اس مجموعہ میں حمد، نعت، غزل اور گیت شامل ہیں، غزلوں میں عشق و محبت ہجر و وصال، خمریات جیسے کلاسیکی موضوعات کی کثرت ہے۔ لفظیات بہت خوب ہیں، جس طرح سے اشعار کہے گئے ہیں وہ بہت دلچسپ ہے، غزلیں طویل اور دلکش ہیں، تغزل اور نغمگی سے پر ہیں۔ نظموں میں بھی غزلوں کی سی نغمگی ہے، نظموں کے موضوعات متنوع ہیں، مناظر فطرت کی عکاسی کرتی ہوئی نظمیں بھی اس مجموعہ میں شامل ہیں، جیسے گنگا کا کنارہ، جمنا کا کنارہ وغیرہ، اسلامی موضوعات اور بزرگوں کے تقدس کو بھی نظموں میں بیان کیا گیا ہے، مثلاً شہ دین خسرو امیر طریقت، طارق ساحل اندلس پر اسی نوعیت کی نظمیں ہیں، حال خواب محبت جیسی نظمیں موجود ہیں، جن میں عشق و محبت کے خوبصورت موضوعات شامل ہیں۔ گیتوں میں ہجر کا کرب نمایاں ہے،"پریم بھکاری پریم بھکارن دونوں ہی تڑپیں بن درشن"، "تجھ بن سجنی جنگ اندھیارا" گیت اس دعوے کی بین دلیل ہے، مجموعہ نغمئہ نور غزلوں، نظموں اور گیتوں کا وقیع اور خوبصورت ذخیرہ اپنے دامن میں رکھتا ہے۔

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लेखक: परिचय

प्रसिद्ध शायर और गीतकार बहज़ाद लखनवी एक जनवरी 1900 को लखनऊ में पैदा हुए. सरदार अहमद खां नाम था, बहज़ाद तख़ल्लुस अपनाया. घर का माहौल शैक्षिक व साहित्यिक था. उनके पिता भी अपने समय के लोकप्रिय शायर थे. घर और लखनऊ के अदबी माहौल के असर से बहज़ाद भी छोटी सी उम्र में शे’र कहने लगे थे.

बहज़ाद एक लम्बे अर्से तक रेल विभाग से सम्बद्ध रहे, उसकेबाद आल इंडिया रेडियो में नौकरी करली. इस दौरान कई फ़िल्मी कम्पनीयों से सम्बद्ध होकर गीत भी लिखे. विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गये और रेडियो पाकिस्तान कराची में नौकरी की. बहज़ाद लखनवी का 10 अक्टूबर 1974 को कराची में देहांत हुआ.
काव्य संग्रह: नग़मा-ए-नूर, कैफ़ व सुरूर, मौज-ए-तुहूर, चराग़-ए-तूर, वज्द व हाल.

 

 

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