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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : सूफ़ी ग़ुलाम मुस्ताफ़ा तबस्सुम

प्रकाशक : पैकेजेज लिमिटेड, लाहौर

भाषा : Urdu, Persian

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : व्याख्या

पृष्ठ : 498

सहयोगी : ज़हरा क़ादिरी

शरह-ए-ग़ज़लियात-ए-ग़ालिब (फ़ारसी)
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पुस्तक: परिचय

غالب کا پورا رجحان فارسی کی طرف ہی رہا اور انہیں اپنے فارسی شاعری پر بڑا ناز بھی تھا۔ وہ اپنے فارسی کلام سے اس قدر شغف رکھتے تھے اور ہمیشہ یہی چاہتے تھے کہ ان کو ان کے فارسی کلام کی بدولت ہی جانا جائے اور اسی سے ان کو شہرت ملے اور ان کی قابلیت کا اندازہ ان کے فارسی کلام سے کیا جائے، تاہم ایسا نہ ہو سکا۔ ان کی اصل شناخت ان کے اردو کلام سے ہے۔ لیکن فارسی میں غالب نے کافی شاعری کی ہے۔ "شرح غزلیات غالب "صوفی غلام مصطفی تبسم کی تصنیف ہے۔جس میں انھوں نے غالب کے فارسی کلام کا ترجمہ پیش کیا ہے۔ساتھ ہی ساتھ مشکل الفاظ کی لغوی تشریح بھی کی ہے، یہ کتاب دو جلدوں پر مشتمل ہے۔ پہلی جلد میں ردیف الف سے لیکر ردیف خ تک۔ جبکہ دوسری جلد میں ردیف د سے ردیف ی تک کی غزلوں کا ترجمہ وتشریح موجود ہے۔ زیر نظر کتاب شرح غزلیات غالب کی پہلی جلد ہے۔

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लेखक: परिचय

ग़ुलाम मुस्तफ़ा सूफ़ी तबस्सुम की गिनती हल्क़ा-ए-अरबाब-ए-ज़ौक़ के प्रतिनिधि शाइरों में होती है. 4 अगस्त 1899 को अमृतसर में पैदा हुए. लाहौर के फ़ोरमेन क्रिस्चियन काॅलेज फ़ारसी साहित्य में एम.ए. किया और गवर्नमेंट कालेज लाहौर में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएँ देने लगे. फ़ारसी विभाग के विभागाध्य्क्ष के पद से सेवानिवृत हुए.
सूफ़ी तबस्सुम उर्दू के साथ-साथ फ़ारसी में भी शाइरी करते थे. उन्होंने ग़ालिब और अमीर ख़ुसरौ की फ़ारसी शाइरी का उर्दू में अनुवाद भी किया. इसके अलावा उर्दू और फ़ारसी शाइरी के पंजाबी में भी बहुत से अनुवाद किए. सूफ़ी तबस्सुम को उनकी अदबी ख़िदमात के लिए 1944 में हुकूमत-ए-ईरान ने ‘तमग़ा-ए-निशान-ए-सिपास’ से नवाज़ा और हुकूमत-ए-पाकिस्तान ने ‘सितारा-ए-इम्तियाज़’ से नवाज़ कर इज़्ज़त बख़्शी.
1978 में सूफ़ी तबस्सुम का देहांत हुआ.

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