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आँसुओं से लिखी तहरीर भी हो सकती है

अनवर हुसैन अनवर

आँसुओं से लिखी तहरीर भी हो सकती है

अनवर हुसैन अनवर

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    आँसुओं से लिखी तहरीर भी हो सकती है

    ग़म की रुख़्सार पे तफ़्सीर भी हो सकती है

    तेरी दुनिया में मिरा काम अभी बाक़ी है

    लौटने में ज़रा ताख़ीर भी हो सकती है

    दम-ए-रुख़्सत तिरे होंटों की ये फीकी मुस्कान

    मेरे इन पाँव की ज़ंजीर भी हो सकती है

    दिल से खेलो मिरे इस के किसी गोशे में

    आप की ही कोई तस्वीर भी हो सकती है

    शक नहीं इस में कोई वक़्त अगर साथ रहा

    फिर वहीं इक नई ता'मीर भी हो सकती है

    ख़्वाब ही ख़्वाब की दुनिया है मिरी आँखों में

    इन की कोई हसीं ता'बीर भी हो सकती है

    ज़िंदगी दश्त की सूरत ही सही सब्र तो कर

    एक दिन वादी-ए-कश्मीर भी हो सकती है

    वक़्त आने तो दो ज़ुल्मत को मिटाने के लिए

    संदली हाथों में शमशीर भी हो सकती है

    आजिज़ी पर किसी ज़ालिम की कभी रहम कर

    मक्र हो सकता है तदबीर भी हो सकती है

    आरज़ू मेरी दु'आ आप की रंग लाएगी

    वर्ना ये आख़िरी तहरीर भी हो सकती है

    कुछ रहे या रहे पास-ए-अना है 'अनवर'

    बस अना ही मिरी जागीर भी हो सकती है

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