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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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आओ मिल कर सोचें इस की तदबीरें

जमील अरशद खाँ अरशद

आओ मिल कर सोचें इस की तदबीरें

जमील अरशद खाँ अरशद

MORE BYजमील अरशद खाँ अरशद

    आओ मिल कर सोचें इस की तदबीरें

    कैसे टूटेंगी क़दमों की ज़ंजीरें

    जो क़ौमें माज़ी से दर्स नहीं लेतीं

    ख़ाक में मिल जाती हैं उन की तक़दीरें

    वक़्त ने जाने चेहरे पर क्या क्या लिक्खा

    उलझी उलझी बोसीदा सी तहरीरें

    रात गए जब घर को वापस आता हूँ

    ख़ामोशी करती मिलती है तक़रीरें

    'अरशद' मेरा आज भी वो सरमाया हैं

    धुँदली धुँदली अहद-ए-कुहन की तस्वीरें

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