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अब कोई ग़म-गुसार हमारा नहीं रहा

दिल शाहजहाँपुरी

अब कोई ग़म-गुसार हमारा नहीं रहा

दिल शाहजहाँपुरी

MORE BYदिल शाहजहाँपुरी

    अब कोई ग़म-गुसार हमारा नहीं रहा

    दुनिया को ए'तिबार हमारा नहीं रहा

    इस फ़र्त-ए-ग़म में ख़ून के आँसू टपक पड़े

    अब दिल भी राज़दार हमारा नहीं रहा

    उस की हुज़ूर पीर-ए-मुग़ाँ में है मंज़िलत

    जो अहद-ए-पाएदार हमारा नहीं रहा

    हर दाग़ उभर के ज़ख़्म बना ज़ख़्म रश्क-ए-गुल

    दिल माइल-ए-बहार हमारा नहीं रहा

    ये है मआल-ए-सोहबत-ए-ज़ाहिद जनाब-ए-दिल

    रिंदों में अब शुमार हमारा नहीं रहा

    स्रोत :
    • पुस्तक : Nuqush 83, 84 (पृष्ठ 99 (e)102 )
    • रचनाकार : Mohammad Tufail
    • प्रकाशन : Idara Farogh-e-Urdu Lahauri (Nuqush 83, 84)
    • संस्करण : Nuqush 83, 84

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