अच्छा है इसी सूरत-ए-हालात में रहना
अच्छा है इसी सूरत-ए-हालात में रहना
दिन शहर में और रात मज़ाफ़ात में रहना
हर रात सितारों को ज़मीं पर लिए फिरना
हर सुब्ह कहीं हम्द-ओ-मुनाजात में रहना
इस भीड़ में गर्द-ए-दर-ओ-दीवार है इतनी
मुमकिन ही नहीं हाथ किसी हात में रहना
उस शख़्स की चाहत भी अजब है कि हमेशा
ख़ातिर में न लाना तो मुदारात में रहना
ये शहर समुंदर के किनारे प है आबाद
इस शहर में रहना भी तो औक़ात में रहना
हम अहल-ए-तरीक़त की यही रस्म रही है
ज़िंदान में या हल्क़ा-ए-सादात में रहना
दिखना तो 'सलीम' अपने रवय्ये ही पे दिखना
ख़ुश रहना तो अपनी ही किसी बात में रहना
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