अहबाब मेरे सारे के सारे बदल गए
अहबाब मेरे सारे के सारे बदल गए
निगह-ए-करम के जब से इशारे बदल गए
हसरत है देखने की न जलवों में दिलकशी
नज़रें बदल गईं कि नज़ारे बदल गए
काँधों पे ज़िम्मेदारियाँ जिस दिन से आ गईं
तब से तमाम शौक़ हमारे बदल गए
दस्त-ए-दराज़ हम ने किया माँगी भीक तक
लेकिन वफ़ा से दोस्त हमारे बदल गए
तक़दीर हम पे होने ही वाली थी मेहरबाँ
फिर यूँ हुआ नसीब के तारे बदल गए
जिस रोज़ तेरे आने की लाई ख़बर हवा
उस रोज़ गुल-कदे में शरारे बदल गए
बदला 'ख़ुमार' वक़्त हमारा तो दफ़अ'तन
मोहसिन तमाम बदले सहारे बदल गए
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