ऐ ब-रुख़ मुसहफ़-ए-गुलज़ार-ओ-चराग़-ए-हरम-ए-ग़ुन्चगी-ओ-आया-ए-गुल-बारी-ओ-क़ुरआन-ए-बहार
ऐ ब-रुख़ मुसहफ़-ए-गुलज़ार-ओ-चराग़-ए-हरम-ए-ग़ुन्चगी-ओ-आया-ए-गुल-बारी-ओ-क़ुरआन-ए-बहार
जोश मलीहाबादी
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रोचक तथ्य
जुलाई 1941
ऐ ब-रुख़ मुसहफ़-ए-गुलज़ार-ओ-चराग़-ए-हरम-ए-ग़ुन्चगी-ओ-आया-ए-गुल-बारी-ओ-क़ुरआन-ए-बहार
ऐ ब-क़द मौज-ए-रवाँ बर्क़-ए-तपाँ सर्व-ए-सही शाख़-ए-गुल-ए-ताज़ा-ओ-इल्हाम-ए-ख़िरामान-ए-बहार
पए गुल-गश्त ज़रा उस क़द-ए-बला-ए-फ़लक-ताब-ओ-चमन-साज़ को दे इज़्न-ए-ख़िराम
कि तिरे हिज्र में बे-कैफ़ है बे-रूह है बे-ताब है बे-ख़्वाब है लैला-ए-ख़याबान-ए-बहार
बज़्म की बज़्म है पज़मुर्दा-ओ-अफ़्सुर्दा-ओ-दिल-बस्ता-ओ-ख़ामोश-ओ-मलूल-ओ-ग़मनाक
खोल दे काकुल-ए-ज़ोलीदा-ओ-शब-रंग-ओ-जहाँ-सैद-ओ-गुहर-बेज़ कि है चश्मा-ए-हैवान-ए-बहार
आ भी जुम्बिश में कि हैं गोश-बर-आवाज़ अदीबान-ओ-हरीफ़ान-ओ-गुल-ओ-लाला-ओ-सर्व
ऐ लब-ए-लाल-ए-फ़ुसूँ-बार-ओ-दिल-आवेज़ शकर-रेज़ कि है तुझ पे फ़िदा लर्ज़िश-ए-दामान-ए-बहार
बरबत-ओ-ऊद-ओ-शराब-ओ-दफ़-ओ-अफ़्साना-ओ-अफ़्सून-ओ-शब-ए-माह-ओ-रबाब-ओ-साग़र
आ कि मुश्ताक़ हैं ऐ जान-ए-चमन ज़ोहरा-जबीं होश-रुबा माह-लक़ा शम-ए-शबिस्तान-ए-बहार
दहर है ख़ुफ़्ता-ओ-आशुफ़्ता-ओ-आज़ुर्दा-ओ-ग़म-दीदा-ओ-नाशाद-ओ-ज़बूँ-हाल-ओ-तबाह
हाँ उठा नर्गिस-ए-मख़मूर-ओ-गुहर-ताब-ओ-जुनूँ-ख़ेज़ कि है महबस-ए-मय-ख़ाना-ओ-ज़िंदान-ए-बहार
आज है 'हाफ़िज़-ए-'शीराज़ी'-ओ-'ख़य्याम'-ओ-'नज़ीरी'-ओ-'फ़ुग़ानी'-ओ-'ज़ुहूरी' का जवाब
ये तिरा 'जोश' कि है मस्त-ओ-ख़राबाती-ओ-सर-हल्क़ा-ए-रिंदान-ए-जहाँ क़िबला-ए-ख़ासान-ए-बहार
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