ऐसी भी क्या जल्दी प्यारे जाने मिलें फिर या न मिलें हम
ऐसी भी क्या जल्दी प्यारे जाने मिलें फिर या न मिलें हम
हफ़ीज़ होशियारपुरी
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ऐसी भी क्या जल्दी प्यारे जाने मिलें फिर या न मिलें हम
कौन कहेगा फिर ये फ़साना बैठ भी जाओ सुन लो कोई दम
वस्ल की शीरीनी में पिन्हाँ हिज्र की तल्ख़ी भी है कम कम
तुम से मिलने की भी ख़ुशी है तुम से जुदा होने का भी ग़म
हुस्न-ओ-इश्क़ जुदा होते हैं जाने क्या तूफ़ान उठेगा
हुस्न की आँखें भी हैं पुर-नम 'इश्क़ की आँखें भी हैं पुर-नम
मेरी वफ़ा तो नादानी थी तुम ने मगर ये क्या ठानी थी
काश न करते मुझ से मोहब्बत काश न होता दिल का ये 'आलम
परवाने की ख़ाक परेशाँ शम' की लौ भी लर्ज़ां लर्ज़ां
महफ़िल की महफ़िल है वीराँ कौन करे अब किस का मातम
कुछ भी हो पर इन आँखों ने अक्सर ये 'आलम भी देखा
'इश्क़ की दुनिया नाज़-ए-सरापा हुस्न की दुनिया इज्ज़-ए-मुजस्सम
शहद-शिकन होंटों की लर्ज़िश 'इशरत बाक़ी का गहवारा
दायरा-ए-इम्कान-ए-तमन्ना नर्म लचकती बाँहों के ख़म
अपने अपने दिल के हाथों दोनों ही बर्बाद हुए हैं
मैं हूँ और वफ़ा का रोना वो हैं और जफ़ा का मातम
नाकामी सी नाकामी है महरूमी सी महरूमी है
दिल का मनाना सई-ए-मुसलसल उन को भुलाना कोशिश-ए-पैहम
अहद-ए-वफ़ा है और भी मोहकम तेरी जुदाई के मैं क़ुर्बां
तेरी जुदाई के मैं क़ुर्बां अहद-ए-वफ़ा है और भी मोहकम
- पुस्तक : Nuquush Lahore (पृष्ठ 202)
- रचनाकार : Mohd Tufail
- प्रकाशन : Idara Farog-e-urdu, Lahore (Feb.1956 )
- संस्करण : Feb.1956
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