अजब चंचल मिला है यार हमना
अजब चंचल मिला है यार हमना
किया इक-बारगी सरशार हमना
तधाँ सूँ देख कर कुछ यूँ समझते
दो-आलम साहिब-ए-असरार हमना
गुल-ए-बुस्ताँ है गोया ख़ार-ए-सहरा
वसा जब हुस्न का गुलज़ार हमना
ज़मीं सूँ ता-फ़लक सारे हिजाबात
हुए हैं मतला-उल-अनवार हमना
हुआ दिल सुर्ख़-रू आया नज़र जब
शगुफ़्ता चेहरा-ए-गुल-नार हमना
नवाज़िश और तलत्तुफ़ सूँ अपस के
दिया ख़ल्वत में अपने बार हमना
'अलीमुल्लाह' हुज़ूरी में सनम के
नहीं जुज़ बंदगी इक़रार हमना
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