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अश्क आँखों में और दिल में आहों के शरर देखे

राही शहाबी

अश्क आँखों में और दिल में आहों के शरर देखे

राही शहाबी

MORE BYराही शहाबी

    अश्क आँखों में और दिल में आहों के शरर देखे

    बरसात के मौसम में जलते हुए घर देखे

    आख़िर को ये दिन तू ने दीदा-ए-तर देखे

    मिलते हुए मिट्टी में अनमोल गुहर देखे

    जल्वों की हदें आख़िर कैसे मुतअय्यन हों

    आँखों ने तिरे जल्वे ता-हद्द-ए-नज़र देखे

    गहनाए हुए चाँद और धुँदलाए हुए सूरज

    फ़ुर्क़त में इन आँखों ने क्या शाम-ओ-सहर देखे

    पहुँचा दे सलाम उस तक हम तीरा-नसीबों का

    जो 'राही'-ए-ख़ुश-क़िस्मत तनवीर-ए-सहर देखे

    स्रोत :
    • पुस्तक : Tahreek Silver Jubilee Number (पृष्ठ 435)
    • रचनाकार : Gopal Mittal, Makhmoor Saeedi, Prem Gopal Mittal
    • प्रकाशन : Monthly Tahreek, 9, Ansari Market, Daryaganj, New Delhi-110002 (July, Aug., Sep. Oct. 1978,Volume No. 26,Issue No. 4,5,6,7,)
    • संस्करण : July, Aug., Sep. Oct. 1978,Volume No. 26,Issue No. 4,5,6,7,

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