Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

बहुत ख़ूबियाँ हैं हवस-कार दिल में

रउफ़ रज़ा

बहुत ख़ूबियाँ हैं हवस-कार दिल में

रउफ़ रज़ा

MORE BYरउफ़ रज़ा

    बहुत ख़ूबियाँ हैं हवस-कार दिल में

    नया शोर मचता है हर बार दिल में

    बदन को कसो और बस मुस्कुरा दो

    उतर जाओ अब आख़िरी बार दिल में

    अभी मेरे चेहरे की रंगत अलग थी

    अभी हो रही है धुआँ-दार दिल में

    नए चाँद पर अब के सदक़ा करेंगे

    सलामत रहें सब गुल ख़ार दिल में

    हमें रिज़्क़ की कुछ ज़रूरत पड़ेगी

    दुआ पक रही है गुनहगार दिल में

    अज़ानें हुईं सुब्ह रौशन हुई है

    चलो चल के सोएँ इसी यार दिल में

    मैं जैसे ही उस की गली को मुड़ा हूँ

    दिल जेब में है दिलदार दिल में

    ज़मीं की चटाई वो पत्थर का तकिया

    ख़रीदार दिल में बाज़ार दिल में

    महकता सुबुक सा उड़ा जा रहा हूँ

    जुटा ही लिए सारे अग़्यार दिल में

    इसे कुछ होने का कितना यक़ीं है

    छुपा कर रखो ये कला-कार दिल में

    'रज़ा' आज़माया हुआ है पुराना

    चलो यार घर को चलो यार दिल में

    वीडियो
    This video is playing from YouTube

    Videos
    This video is playing from YouTube

    रउफ़ रज़ा

    रउफ़ रज़ा

    RECITATIONS

    रउफ़ रज़ा

    रउफ़ रज़ा,

    रउफ़ रज़ा

    बहुत ख़ूबियाँ हैं हवस-कार दिल में रउफ़ रज़ा

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

    Get Tickets
    बोलिए