दर्द कुछ दिन तो मेहमाँ ठहरे
दर्द कुछ दिन तो मेहमाँ ठहरे
हम ब-ज़िद हैं कि मेज़बाँ ठहरे
सिर्फ़ तन्हाई सिर्फ़ वीरानी
ये नज़र जब उठे जहाँ ठहरे
कौन से ज़ख़्म पर पड़ाव किया
दर्द के क़ाफ़िले कहाँ ठहरे
कैसे दिल में ख़ुशी बसा लूँ मैं
कैसे मुट्ठी में ये धुआँ ठहरे
थी कहीं मस्लहत कहीं जुरअत
हम कहीं इन के दरमियाँ ठहरे
- पुस्तक : LAVA (पृष्ठ 143)
- रचनाकार : JAVED AKHTAR
- प्रकाशन : RAJ KAMAL PARKASHAN (2012)
- संस्करण : 2012
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