Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

देश-भक्ति बे-असर आधे इधर आधे उधर

शुभम कश्यप

देश-भक्ति बे-असर आधे इधर आधे उधर

शुभम कश्यप

MORE BYशुभम कश्यप

    देश-भक्ति बे-असर आधे इधर आधे उधर

    हैं धरम के नाम पर आधे इधर आधे उधर

    दिल पिघलते ही नहीं मज़लूम की फ़रियाद पर

    सब हैं पत्थर के जिगर आधे इधर आधे उधर

    काट दीजेगा किताब-ए-ज़िंदगी से मेरा नाम

    जोड़ देना फिर सफ़र आधे इधर आधे उधर

    गए है आँधियों की ज़द पे क्या बर्ग-ओ--शजर

    हैं परिंदे शाख़ पर आधे इधर आधे उधर

    चाँद देखा मनचलों ने जिस घड़ी है बाम पर

    चढ़ गए दीवार पर आधे इधर आधे उधर

    हादिसा कोई कोई पेश आया है ज़रूर

    सफ़-ब-सफ़ हैं सब बशर आधे इधर आधे उधर

    क़त्ल-ओ-ख़ूँ जम्हूरियत का हर तरफ़ है आज-कल

    हैं वफ़ा के नाम पर आधे इधर आधे उधर

    सहन से दीवार मिल कर अब गिरानी है हमें

    ख़ुश नहीं लगते पिसर आधे इधर आधे उधर

    सरपरस्ती अहल-ए-दानिश की अगर हासिल रही

    झुक नहीं सकते हैं सर आधे इधर आधे उधर

    गर्दिशों से खेलना है काम मेरा अब 'शुभम'

    लाख हो ख़ौफ़-ओ-ख़तर आधे इधर आधे उधर

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY
    बोलिए