ढलके ढलके आँसू ढलके
छलके छलके साग़र छलके
दिल के तक़ाज़े उन के इशारे
बोझल बोझल हल्के हल्के
देखो देखो दामन उलझा
ठहरो ठहरो साग़र छलके
उन का तग़ाफ़ुल उन की तवज्जोह
इक दिल उस पर लाख तहलके
उन की तमन्ना उन की मोहब्बत
देखो सँभाल के देखो सँभल के
ग़म ने उठाए सैकड़ों तूफ़ाँ
दिल ने बिसारा लाख मचल के
पल में हँसाओ पल में रुलाओ
पल में उजाले पल में धुँदलके
हम ने समझा तुम ने जाना
दिल ने मचाए लाख तहलके
लाख मनाया लाख भुलाया
नैन कटोरे भर भर कर छलके
कितने उलझे कितने सीधे
रस्ते उन के रंग-महल के
- पुस्तक : urdu kii chunii hu.ii gazale.n (पृष्ठ 69)
- रचनाकार : devendra issar
- प्रकाशन : sahityaa parkaashak maalbaara delhi (1963)
- संस्करण : 1963
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