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दिल तड़प जाए न क्यूँ सुन कर फ़ुग़ान-ए-अहल-ए-दर्द

शफ़क़ इमादपुरी

दिल तड़प जाए न क्यूँ सुन कर फ़ुग़ान-ए-अहल-ए-दर्द

शफ़क़ इमादपुरी

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    दिल तड़प जाए क्यूँ सुन कर फ़ुग़ान-ए-अहल-ए-दर्द

    उन से पूछो जो समझते हैं ज़बान-ए-अहल-ए-दर्द

    एक से इक बढ़ के है दिलचस्प दिलकश दिल-सिताँ

    हाल-ए-दिल अफ़्साना-ए-ग़म दास्तान-ए-अहल-ए-दर्द

    ये तो कहिए मुँह से इक उफ़ तक किसी ने की कभी

    ले चुके हैं आप अक्सर इम्तिहान-ए-अहल-ए-दर्द

    हाथ धो ले जान से कोई तो जी भर कर सुने

    जाँ-सितान-ए-अहल-ए-दिल है दास्तान-ए-अहल-ए-दर्द

    किस के आगे दर्द-ए-दिल अपना कहोगे तुम 'शफ़क़'

    कोई दुनिया में नहीं अब क़द्र-दान-ए-अहल-ए-दर्द

    स्रोत :
    • पुस्तक : Noquush (पृष्ठ B-407 E-417)
    • प्रकाशन : Nuqoosh Press Lahore (May June 1954)
    • संस्करण : May June 1954

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