फ़ुर्क़त में वसलत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में
फ़ुर्क़त में वसलत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में
आशोब-ए-वहदत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में
रूह-ए-कुल से सब रूहों पर वस्ल की हसरत तारी है
इक सर-ए-हिकमत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में
बे-अहवाली की हालत है शायद या शायद कि नहीं
पर अहवालिय्यत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में
मुख़्तारी के लब सिलवाना जब्र अजब-तर ठहरा है
हैजान-ए-ग़ैरत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में
बाबा अलिफ़ इरशाद-कुनाँ हैं पेश-ए-अदम के बारे में
हैरत बे-हैरत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में
मा'नी हैं लफ़्ज़ों से बरहम क़हर-ए-ख़मोशी आलम है
एक अजब हुज्जत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में
मौजूदी से इंकारी है अपनी ज़िद में नाज़-ए-वजूद
हालत सी हालत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में
- पुस्तक : Gumaan (Poetry) (पृष्ठ 17)
- रचनाकार : Jaun Elia
- प्रकाशन : Takhleeqar Publishers (2012)
- संस्करण : 2012
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