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गरचे ऐ दिल आशिक़-ए-शैदा है तू

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

गरचे ऐ दिल आशिक़-ए-शैदा है तू

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

MORE BYमुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

    गरचे दिल आशिक़-ए-शैदा है तू

    लेकिन अपने काम में यकता है तू

    आशिक़ माशूक़ करता है जुदा

    फ़लक ये काम भी करता है तू

    लाख पर्दे गर हों तेरे हुस्न पर

    कोई पर्दों में छुपा रहता है तू

    हाल-ए-दिल कहने लगूँ हूँ मैं तो शोख़

    मुझ से यूँ कहता है ''क्या बकता है तू''

    पास बैठा उस के मैं रोया किया

    यूँ पूछा मुझ से ''क्यूँ रोता है तू''

    रात दिन तू है मिरी आग़ोश में

    मैं तिरा साहिल मिरा दरिया है तू

    बज़्म में उस तुंद-ख़ू की दौड़ दौड़

    काम क्या? क्यूँ? किस लिए जाता है तू

    वाँ नहीं मुतलक़ तिरा मज़कूर भी

    'मुसहफ़ी' किस बात पर भूला है तू

    स्रोत :
    • पुस्तक : kulliyat-e-mas.hafii(divan-e-doom) (पृष्ठ 233)

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