हर साँस में शामिल रहते हैं हर ख़्वाब सँवारा करते हैं
हर साँस में शामिल रहते हैं हर ख़्वाब सँवारा करते हैं
क्या क्या न हमारी ख़ातिर वो तकलीफ़ गवारा करते हैं
सज्दों से तलाफ़ी हो क्यूँकर हैरान-ओ-परेशाँ हैं ख़ुद-सर
वो बोझ जो होता है दिल पर किस तरह उतारा करते हैं
हर हाल में हैं राज़ी-ब-रज़ा हम अहल-ए-यकीं हम अहल-ए-वफ़ा
है कौन हमारा तेरे सिवा तुझ ही को पुकारा करते हैं
क्या जानिए क्या है क़िस्मत में ऐ शाख़-ए-नशेमन ख़ैर तिरी
बिजली भी बहुत कुछ कहती है बादल भी इशारा करते हैं
इक मौज क़यामत ढाती है इक मौज सहारा देती है
तूफ़ाँ ही डुबोते हैं कश्ती तूफ़ाँ ही उभारा करते हैं
एहसास कहाँ फेंक आएँ हम अल्फ़ाज़ कहाँ से लाएँ हम
किस दिल से किसे समझाएँ हम जो कुछ भी नज़ारा करते हैं
जाँ-बाज़ कहाँ दिल-बाज़ हैं सब लेकिन ये हक़ीक़त है 'राही'
कुछ हार के जीता करते हैं कुछ जीत के हारा करते हैं
जो अज़्म-ए-अमल के पैकर हैं वो लोग ही 'राही' बरतर हैं
वो बे-हिस कंकर पत्थर हैं जो वक़्त गुज़ारा करते हैं
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