Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

हवा चमन की भला हम को साज़गार कहाँ

अर्श मलसियानी

हवा चमन की भला हम को साज़गार कहाँ

अर्श मलसियानी

MORE BYअर्श मलसियानी

    हवा चमन की भला हम को साज़गार कहाँ

    बहार नाम को है असल में बहार कहाँ

    जो तुम नहीं थे तो इक लुत्फ़-ए-इंतिज़ार तो था

    तुम गए हो तो अब लुत्फ़-ए-इंतिज़ार कहाँ

    चमन से दूर भी देखी है फ़स्ल-ए-गुल हम ने

    मगर वो सिलसिला-ए-नग़्मा-ए-बहार कहाँ

    नुमूद-ए-सुब्ह हुई और उजड़ गई महफ़िल

    मय-ए-शबाना कहाँ अब वो मय-गुसार कहाँ

    चमन ये शहर-ए-निगाराँ बना तो है लेकिन

    मिरी बहार को छोड़ आई है बहार कहाँ

    हुई हैं उन से उचटती सी कुछ मुलाक़ातें

    मगर ये कैफ़ ब-अंदाज़ा-ए-ख़ुमार कहाँ

    सीना चाक है कोई अब गरेबाँ चाक

    गया जाने वो सर्माया-ए-बहार कहाँ

    ब-फ़ैज़-ए-अज़्मत-ए-इस्याँ मिली है ये तौक़ीर

    वगर्ना दर-ख़ुर-ए-रहमत गुनाहगार कहाँ

    वो सोहबत-ए-माज़ी उस की याद 'अर्श'

    जो कारवाँ ही नहीं है तो फिर ग़ुबार कहाँ

    स्रोत :
    • पुस्तक : Kulliyat-e-Arsh (पृष्ठ 124)
    • रचनाकार : Arsh Malsiyani
    • प्रकाशन : Ali Imran Chaudhary

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

    Get Tickets
    बोलिए