हवा की चितवन जैसे नैन
हवा की चितवन जैसे नैन
होंटों पे शबनम से बैन
लांबा जिस्म समुंदर जैसा
सूरज जिस के भीतर चैन
लोहू की ख़ुशबू में जागे
एक परिंदे वाली रैन
जल इक बहता जल के अंदर
होंटों के ताइर बेचैन
हवा परिंदे के क़द जितनी
शजर सियाह हरियाले ऐन
नैन कटोरों जैसी शबनम
दरिया उजियाले बसे नैन
सम्तों के महताब बदन में
लोहू लोहू का ज़ौजैन
दो ग़ुंचे दो जिस्म हमारे
एक शजर का मीठा बैन
- पुस्तक : Mehraab (पृष्ठ 128)
- रचनाकार : Ahmed Mushtaq
- प्रकाशन : Maktaba Mehrab Pak Tea House Share Qaid-e-azam (1977)
- संस्करण : 1977
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