इक पुर-कशिश कहानी के किरदार की तरह
इक पुर-कशिश कहानी के किरदार की तरह
हर शख़्स जी रहा है अदाकार की तरह
मैं चल रहा हूँ बा-दिल-ए-ना-ख़्वास्ता मगर
हालात की गिरफ़्त में पतवार की तरह
जो फूल से भी हल्का तअ'ल्लुक़ था इन दिनों
लगने लगा है कोह गिराँ-बार की तरह
ये मस्लहत नहीं है तो फिर उन के सामने
ख़ामोश क्यूँ खड़े हो गुनहगार की तरह
'तालिब' ख़ुशामदों का ये चोला उतार कर
हक़ माँग कर तो देखिए हक़दार की तरह
- पुस्तक : Almaas (पृष्ठ 33)
- रचनाकार : Ayaz Ahmad Talib
- प्रकाशन : Ayaz Ahmad Talib (2010)
- संस्करण : 2010
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