जब ख़ुशी भी ख़ुशी नहीं होती
जब ख़ुशी भी ख़ुशी नहीं होती
ज़िंदगी ज़िंदगी नहीं होती
तेरे जल्वे अगर न शामिल हों
चाँदनी चाँदनी नहीं होती
कभी होता भी है नज़र का फ़रेब
आगही आगही नहीं होती
जो न पैदा हो शान-ए-'अबदिय्यत
बंदगी बंदगी नहीं होती
सब करिश्मे हैं 'इश्क़ के वर्ना
दिलबरी दिलबरी नहीं होती
जो न पाकीज़ा हो मज़ाक़-ए-हयात
'आशिक़ी 'आशिक़ी नहीं होती
कभी होती है पर्दा-दारी-ए-होश
बे-ख़ुदी बे-ख़ुदी नहीं होती
ऐ ख़ुशा तर्ज़-ए-इल्तिफ़ात कि जब
बरहमी बरहमी नहीं होती
हो न 'इरफ़ान-ए-नफ़्स अगर 'इन'आम'
शा'इरी शा'इरी नहीं होती
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