जतन से रख हमें जब तक कि बा-हयात हैं हम
जतन से रख हमें जब तक कि बा-हयात हैं हम
तिरे बदन की रियासत के काग़ज़ात हैं हम
हमें ख़रीदा था सोने के भाव में जिस ने
अब उस की नज़रों में पीतल के ज़ेवरात हैं हम
त'अल्लुक़ात का नश्शा उतर चुका है मगर
अभी भी लगता है हम को तुम्हारे साथ हैं हम
जिसे समझ के तुझे इश्क़ का हुनर आया
उसी किताब-ए-मोहब्बत की लफ़्ज़ियात हैं हम
उसी ने रक्खा है बे-लुत्फ़ हाशिए पे हमें
वो जिस क़बीले की असली ज़रूरियात हैं हम
हमें फ़ुज़ूल इदारों पे ख़र्च मत करना
मोहब्बतों के सफ़र से मिली ज़कात हैं हम
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