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जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़

इफ़्तिख़ार राग़िब

जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़

इफ़्तिख़ार राग़िब

MORE BYइफ़्तिख़ार राग़िब

    जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़

    हालात कर रहे हैं हालात के मुताबिक़

    जिस दर्जा हिज्र-रुत में आँखें बरस रही हैं

    ग़ज़लें भी उग रही हैं बरसात के मुताबिक़

    सुख चैन और ख़ुशी का अंदाज़ा मत लगाओ

    अस्बाब माल-ओ-ज़र की बुहतात के मुताबिक़

    हो शहर के मुताबिक़ हासिल हर इक सहूलत

    माहौल पर सुकूँ हो देहात के मुताबिक़

    देखो ख़ुलूस-ए-नियत जज़्बात और मोहब्बत

    मत चाहतों को तोलो सौग़ात के मुताबिक़

    चादर ही के मुताबिक़ फैलाओ पाँव 'राग़िब'

    मेआर-ए-ज़ीस्त रक्खा औक़ात के मुताबिक़

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    इफ़्तिख़ार राग़िब

    इफ़्तिख़ार राग़िब,

    इफ़्तिख़ार राग़िब

    जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़ इफ़्तिख़ार राग़िब

    स्रोत :
    • पुस्तक : Lafoz Men Ehsas (पृष्ठ 29)
    • रचनाकार : Iftikhar Raghib
    • प्रकाशन : Shumaila Printers Delhi (2011)
    • संस्करण : 2011

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