जिस का दर्द बटाओगे
जिस का दर्द बटाओगे
उस से रंज उठाओगे
सब को दोस्त बनाओगे
सब को दुश्मन पाओगे
दीवाने को मत समझाओ!
दीवाने कहलाओगे
दूर न जाओ नज़रों से
दुनिया में खो जाओगे
महफ़िल महफ़िल छुपते हो
ख़ल्वत ख़ल्वत पाओगे
तन-आसानी कहती है
मुश्किल में पड़ जाओगे
'मोहसिन' जो समझाते हो
ख़ुद को भी समझाओगे
- पुस्तक : Maajra (पृष्ठ 85)
- रचनाकार : Mohsin Bhopali
- प्रकाशन : Aiwan-e-Adab 8C Mohammad Ali society, Krachi (1981)
- संस्करण : 1981
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