जो दिलबर की मोहब्बत दिल से बदले
तो लूँ उम्मीद-ए-ला-हासिल से बदले
मुहाल-ए-अक़्ल कोई शय नहीं है
जो आसानी मिरी मुश्किल से बदले
जहाँ है कोर और ख़ुर्शीद महजूब
कहाँ तक शम्अ' हर महफ़िल से बदले
तही-दस्त-ए-मोहब्बत तो भी समझो
जो जम-साग़र को जाम-ए-गिल से बदले
हर इक को जान देने की ख़ुशी हो
अजल गर नावक-ए-क़ातिल से बदले
अगर हो चीं-जबीं क़ातिल दम-ए-क़त्ल
क़यामत क़ामत-ए-क़ातिल से बदले
अभी हम तो अदू से भी बदल लें
जो ग़म को ग़म से दिल को दिल से बदले
खुले अहवाल-ए-दिल जब नासेहों पर
तह-ए-दरिया अगर साहिल से बदले
शबिस्ताँ छोड़ कर लैला हो मजनूँ
मिरी आग़ोश गर महमिल से बदले
न जुम्बिश इक क़दम हो आसमाँ से
मिरी मंज़िल अगर मंज़िल से बदले
बुतों का जल्वा काबे में दिखा दें
ज़रा तक़्वा दिल-ए-माइल से बदले
'क़लक़' उस ज़ुल्म का फिर क्या ठिकाना
अगर मक़्तूल ले क़ातिल से बदले
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.