जोश-ए-जुनूँ में रात दिन सब से रहा अलग अलग
जोश-ए-जुनूँ में रात दिन सब से रहा अलग अलग
मैं हूँ जुदा अलग अलग लोग जुदा अलग अलग
मैं ने बलाएँ लेने को हाथ बढ़ाए जब उधर
मुँह को फिरा के यार ने मुझ से कहा अलग अलग
शम्अ' जलाने आए हैं आज वो मेरी क़ब्र पर
चलियो ख़ुदा के वास्ते बाद-ए-सबा अलग अलग
ख़ाक हो ज़िंदगी भला तेरे मरीज़-ए-इश्क़ की
मैं हूँ दवा से दूर दूर मुझ से दवा अलग अलग
हिज्र में ख़ूब ख़ाक उड़ी उन को हुआ न कुछ असर
नाले गए अलग अलग आह-ए-रसा अलग अलग
हसरत-ओ-आरज़ू-ए-वस्ल दर्द-ओ-मुसीबत-ए-फ़िराक़
सब का है लुत्फ़ अलग अलग सब का मज़ा अलग अलग
'सद्र' वो कम-नसीब हूँ हिज्र में गर उठाऊँ हाथ
बाब-ए-क़ुबूल से रहे मेरी दुआ अलग अलग
- पुस्तक : غزل اس نے چھیڑی (पृष्ठ 87)
- रचनाकार : فرحت احساس
- प्रकाशन : ریختہ بکس بی۔37،سیکٹر۔1،نوئیڈا (2017)
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