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कौन करता है सर-ए-ज़ुल्फ़ की बातें दिल में

मीर हसन

कौन करता है सर-ए-ज़ुल्फ़ की बातें दिल में

मीर हसन

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    कौन करता है सर-ए-ज़ुल्फ़ की बातें दिल में

    जी पे कटती हैं अजब तरह की रातें दिल में

    कोई तरकीब मुलाक़ात की बनती नहीं और

    वस्ल के रोज़ किया करते हैं घातें दिल में

    गो हमें तू ने ये ज़ाहिर में नवाज़ा पर हम

    ध्यान में अपने तिरी खाते हैं लातें दिल में

    तुर्फ़ा शतरंज-ए-मोहब्बत की है ग़ाएब बाज़ी

    शातिर-ए-इश्क़ को हो रहती हैं मातें दिल में

    कौन सी आन-ओ-अदा है कि नहीं जी को लगे

    खुब रही हैं वो तिरी सब हरकातें दिल में

    ज़ात गर पोछिए आदम की तो है एक वही

    लाख यूँ कहने को ठहराइए ज़ातें दिल में

    वस्ल का साद भी होएगा 'हसन' सब्र करो

    दफ़्तर-ए-इश्क़ की दौड़ें हैं बरातें दिल में

    स्रोत :
    • Deewan-e-Meer Hasan

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