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ख़ाक या कहकशाँ से उठता है

सय्यद अमीन अशरफ़

ख़ाक या कहकशाँ से उठता है

सय्यद अमीन अशरफ़

MORE BYसय्यद अमीन अशरफ़

    रोचक तथ्य

    मीर को समर्पित

    ख़ाक या कहकशाँ से उठता है

    दर्द आख़िर कहाँ से उठता है

    है अजब जा-ए-अम्न क़र्या-ए-दिल

    हश्र सारा जहाँ से उठता है

    देख आह-ए-साकिनान-ए-ज़मीं

    इक ग़ुबार आसमाँ से उठता है

    पहले ये ख़ार-ओ-ख़स जलाता था

    शो'ला अब गुल्सिताँ से उठता है

    मसअला ख़ातिर-ए-परेशाँ का

    ख़्वाहिश-ए-राएगाँ से उठता है

    इक ख़ला है जो पुर नहीं होता

    जब कोई दरमियाँ से उठता है

    शाहकार-ए-सुख़न है मिस्रा-ए-'मीर'

    कब ये तुझ ना-तवाँ से उठता है

    स्रोत :
    • पुस्तक : Bahar-e-ejaad (पृष्ठ 36)
    • रचनाकार : Sayed Ameen Ashraf
    • प्रकाशन : Sayed Ameen Ashraf (2007)
    • संस्करण : 2007

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