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किसी के हाथ पर तहरीर होना

शफ़ीक़ सलीमी

किसी के हाथ पर तहरीर होना

शफ़ीक़ सलीमी

MORE BYशफ़ीक़ सलीमी

    किसी के हाथ पर तहरीर होना

    मिरा भी साहब-ए-तक़दीर होना

    फ़क़त इक ख़्वाब हो कर रह गया है

    अधूरे ख़्वाब की ताबीर होना

    निकलना रूह की गहराई से और

    दुआ का हामिल-ए-तासीर होना

    ये होना तो है लेकिन कब ये होगा

    क़बा-ए-ज़र का लीर-ओ-लीर होना

    हिसार-ए-ज़ब्त से बाहर था वो अश्क

    जिसे था दर्द की तफ़्सीर होना

    'शफ़ीक़' आख़िर है इस पारा-सिफ़त को

    किसी के सामने तस्वीर होना

    स्रोत :
    • पुस्तक : Funoon (Monthly) (पृष्ठ 223)
    • रचनाकार : Ahmad Nadeem Qasmi
    • प्रकाशन : 4 Maklood Road, Lahore (25Edition Nov. Dec. 1986)
    • संस्करण : 25Edition Nov. Dec. 1986

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